बवासीर के लक्षण:
- मल त्याग के समय दर्द: बवासीर होने पर मल त्याग के दौरान गुदा (ऐनस) में तेज दर्द हो सकता है।
- खून आना: मल त्याग के समय खून आना बवासीर का प्रमुख लक्षण होता है।
- सूजन और खुजली: गुदा के पास सूजन और खुजली महसूस होती है।
- मलाशय के पास गांठ: कभी-कभी गुदा के पास छोटे-छोटे मस्से जैसे गांठें हो जाती हैं।
- मल त्याग के बाद भी असंतोष: मल त्याग करने के बाद भी ऐसा महसूस हो सकता है कि पेट साफ नहीं हुआ है।
बवासीर के घरेलू उपाय:
- फाइबर युक्त आहार: आहार में अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज शामिल करें। इससे मल नरम रहता है और कब्ज नहीं होती।
- पानी का सेवन: दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे मल नरम बना रहता है और मल त्याग में आसानी होती है।
- तिल का तेल: तिल के तेल का उपयोग गुदा के आसपास लगाने से दर्द और सूजन में राहत मिलती है।
- बर्फ से सिकाई: बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने के लिए बर्फ से सिकाई करें। यह रक्त संचार को कम करता है और सूजन कम करता है।
- त्रिफला चूर्ण: रोजाना त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है, जो बवासीर के लिए प्रमुख कारण हो सकता है।
- आयुर्वेदिक उपचार: बवासीर के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है, जैसे कि अभयारिष्ट, अर्जुन छाल का पाउडर, और त्रिफला।
- व्यायाम: नियमित रूप से हल्का व्यायाम करने से रक्त संचार में सुधार होता है और बवासीर की समस्या कम हो सकती है।
चिकित्सीय उपचार:
यदि घरेलू उपचार से आराम न मिले, तो डॉक्टर से परामर्श लें। बवासीर के लिए कई प्रकार की चिकित्सीय प्रक्रियाएं हैं:
- बैंडिंग: इस प्रक्रिया में बवासीर के मस्सों को रबर बैंड से बांध दिया जाता है, जिससे वह गिर जाते हैं।
- सर्जरी: अत्यधिक गंभीर मामलों में बवासीर की सर्जरी की जाती है।
अगर लक्षण ज्यादा गंभीर हों तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।